मनुष्य को हर समय जागरूक होकर इस बात का ध्यान रखना चाहिए की मन, इन्द्रियों और शरीर आदि की चेष्टा कही संसार को मूल्यवान समझकर न होने लग जाय इस प्रकार हर समय एक लक्ष्य सिद्धि की जागृति बनी रहनी चाहिए।
हम जी रहे हैं — यह बुद्धि के आधार पर नहीं, बल के आधार पर नहीं, विद्या के आधार पर नहीं, बल्कि समय के आधार पर, जीवन के आधार पर, आयु के आधार पर है। वह आयु इतनी तेजी से निरंतर जा रही है की इसमें कभी आलस्य नहीं होता, कभी रुकावट नहीं होती।
करोड़ों कामों को छोर कर एक भगवान का स्मरण करना चाहिए दूसरे मौके तो हरेक को मिल जाते हैं, पर यह मौका बार बार नहीं मिलता।
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