Category Society

  • महामारी COVID के दौरान गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका

    पहला पक्ष है, अपने गौरवशाली इतिहास को ध्यान में रखते हुए गैर सरकारी संस्था के होने की आवश्यकता पर विचार करना, इस दृष्टि से देखने पर उसके अस्तित्व के कारण, प्रयोजन, दायित्व एवं लक्ष्य स्पष्ट होते हैं। भारतीय सामाजिक परम्परा के अनुकूल इनका कर्तव्य, अथवा स्वधर्म क्या हो सकता है? यह आधारभूत पक्ष चिंतन और अध्ययन का है। इस पक्ष के अतिसूक्ष्म विषय को प्रकाशित करने के लिए हम महर्षि वेद व्यास के एक वचन की सहायता लेंगे जो भारतीय दृष्टिकोण का मानक है।

    दूसरा पक्ष है, क्या ऐसी स्तिथि हमारे समाज के इतिहास में पूर्वकाल में आई थी? यदि हाँ, तो हम किस मार्ग से उससे पार हो सके थे? गैर सरकारी संस्था की उसमें क्या भूमिका रही थी? इसकी विवेचना करने से तुलनात्मक ज्ञान भी होता है और विवेक द्वारा चयनित उपयुक्त समाधान भी मानस पटल पर उभर कर आ जाता है। इस पक्ष की श्रेष्ठतम आलोचना के रूप में हम १८९९ में भारत में आये प्लेग महामारी में भगिनी निवेदिता एवं स्वामी विवेकानन्द के मार्गदर्शन में गैर सरकारी संस्था के द्वारा किये कार्य के उदाहरण से प्रेरणा लेंगे।

    अंतिम, प्रत्यक्ष, एवं तात्कालिक पक्ष है, अभी के स्तिथि में किस प्रकार अनेक गैर सरकारी संस्थाओं ने अपने कर्तव्य का पालन किया और कहाँ कमी रह गयी एवं पूर्व के दो पक्षों के प्रकाश में इनके उत्तरोत्तर प्रगतिशील आचरण का मार्ग क्या है? इस के लिए हम निज अनुभूति, समाज के अनुभव एवं समाचार पत्रों से प्राप्त जानकारी की सहायता भी लेंगे।

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  • Stories – a powerful medium of transformation

    I see stories as a simple yet effervescent medium to inculcate values and cultural sensitivity in our lives and as an effective doorway to broaden the horizons of our minds to the bigger possibilities of life.

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  • स्वामी विवेकानन्द का शिकागो व्याख्यान

    प्रस्तुत व्याख्यान माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ११ सितम्बर, २०१८ को रामकृष्ण मिशन, कोयम्बटूर में रामकृष्ण मठ द्वारा आयोजित स्वामी विवेकानन्द के शिकागो भाषण की १२५वीं वर्षगाँठ के समापन समारोह में वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा प्रदान किया था।

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